संज्ञा • slink | क्रिया • slink |
चुपके: surreptitiously mutely by stealth incognito | |
चुपके से: calmly quietly silently unseen on the QT | |
से: through specially herewith past by afar affiliate | |
से आना: account for come from come of account for come | |
आना: a sixteenth of a rupee venir proceed uprise walk | |
चुपके से आना अंग्रेज़ी में
[ cupake se ana ]
चुपके से आना उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- ख़ुशी के बाद ग़म का चुपके से आना भी होता था,
- श्री सदन जी 7725. 0श्रद्धा के साथ शुद्धता जरुरी है 885.0शरद पूर्णिमा व्रत 9525.0आरती संग्रह 12703.2उसका चुपके से आना अच्छा लगता है 4940.0
- ग़िलाफ़ स्थानान्तरित करना फैल जाना तीखा टाँग मारना बाँधने की जगह खीसकाना असलियत चोरी-छिपे देखना चिकने पृष्ठों वाली पत्रिका फिसलना कम होना प्रमाद चुपके से आना जाना लापरवाही अशिष्टता सोना भूल करना जोड़ उखाड़ना सीट स्ट्रीप झटके से घुमाना मक्कारी अशुद्ध प्रयोग खिलौना भाल् काँपना
- खिलौना भाल् काँपना चालबाज़ी ग़िलाफ़ स्थानान्तरित करना फैल जाना तीखा टाँग मारना बाँधने की जगह खीसकाना असलियत चोरी-छिपे देखना चिकने पृष्ठों वाली पत्रिका फिसलना कम होना प्रमाद चुपके से आना जाना लापरवाही अशिष्टता सोना भूल करना जोड़ उखाड़ना सीट स्ट्रीप झटके से घुमाना मक्कारी अशुद्ध प्रयोग
- वो उसका चुपके से आना गली में मिलना रोना-हँसना बातें करना वक़्त फे साथ बिसर गया बिसर गया समग्र प्रेम संसार सिमट गया चार दीवारी में समाज का पंछी बन आजादी के अतीत को याद करते हुए पूरा जीवन अब पिंजरे में फडफडाते रहना मिलने को तरसना सिर्फ़ रोना वक़्त के साथ पसर गया
- ग़ज़ल-२ ख़ुशी के बाद ग़म का चुपके से आना भी होता था, खुशियाँ चार दिन फिर रूठ के जाना भी होता था अज़ल से तो ग़ज़ल का साथ भाया रास आया,जवानी है दीवानी अंदाज़ मनमाना भी होता था जिसे देखो सदाक़त की क़सम खाई दावा जैसे,असर कैसे पड़े झूठों से याराना भी होता था अचानक क्या हुआ बादल फलक से टूट के बिखरे,कभी नज़दीक सूरज का गुज़र जाना भी होता था आग लगा के “रत्ती” खेल खेला ना करो लोगों,गिला, शिकवा, कसीदे पढ़ के इतराना भी होता था प्रस्तुतकर्ता
- जिस रोज़ तेरे ज़िस्म के फूल महक जायेंगे तुम्हारी कसम, हम थोड़ा सा बहक जायेंगे शोलों को ग़र देती रही यूँ ही तुम हवा बेशक़ इक रोज़ हम भी दहक जायेंगे अब तो अक्सर ये हाल रहेगा तुम्हारा सोचोगी मुझे और आँचल ढलक जायेंगे छोडो भी शरमाना, पलकों को यूँ झुकाना ये जो मय है आँखों में, छलक जायेंगे अब जो छत पे आना, जरा चुपके से आना राज़ खुल जाएगा, ग़र पाज़ेब खनक जायेंगे कभी ये ग़ज़ल मेरी तुमसे मिले कहीं तो-मिल बैठना, बातें करना, रुखसार दमक जायेंगे